लखनऊ :- कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश और राजस्थान में मिली विजय सत्ताधारी दल बीजेपी समेत क्षेत्रीय दल के लिए बेचैनी का सबब बना हुआ है हालांकी भाजपा, कांग्रेस की मुख्य विरोधी पार्टी मानी जाती है और क्षेत्रीय दल गाहे बगाहे कांग्रेस के साथ खड़े भी नजर आते हैं, फिर भी क्षेत्रीय दलों की बेचैनी आने वाले लोकसभा चुनाव और कांग्रेस की बढ़ती ताकत को लेकर है !
बीते विधानसभा चुनाव में जिस तरह से जनता ने क्षेत्रीय दल को नकारा है उसको देखते हुए देश के सबसे महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश के प्रमुख क्षेत्रीय दल समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के हाथ पैर फूल गए हैं ! विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद किसी प्रकार की गठबंधन की राजनीति में कांग्रेस को कमतर आंकना क्षेत्रीय दलों एवं राजनीतिक विशेषज्ञों के लिए भी मुश्किल हो गया है दूसरी तरफ जीत के उत्साह से भरपूर कांग्रेस पार्टी ने अलग अलग सूबे के लिए अलग-अलग रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है !
राजस्थान मध्य प्रदेश अथवा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों के शपथ ग्रहण समारोह में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के मुखिया का शामिल ना होना उनकी बेचैनी को साफ बता रहा है !
जानकारों की मानें तो बीते विधानसभा चुनाव में मिली कांग्रेस को जीत के बाद कुछ सूबे के क्षेत्रीय दलों ने राहुल गांधी के नेतृत्व को स्वीकार कर भावी प्रधानमंत्री के रूप में देखना है शुरू भी कर दिया है परंतु कुछ प्रमुख क्षेत्रीय दल अपने अपने प्रदेश में अपना अस्तित्व बचाने के लिए फिलहाल ऐसा करने से बचते दिख रहे हैं !
अब देखना दिलचस्प होगा क्षेत्रीय दलों का राजनैतिक ऊंट किस करवट बैठता है फिलहाल राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार कांग्रेस अपने दम पर उत्तर प्रदेश जैसे राज्य जहां पर कांग्रेस हाशिए पर जा चुकी थी मौजूदा समय में मजबूत स्थिति में है और यही सबसे बड़ा कारण है क्षेत्रीय दलों में बेचैनी का कारण !
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