बरेली। भले ही प्रधानमंत्री मुस्लिम महिलाओं को उनका हक़ दिलाने की बात कर रहे हों लेकिन तीन तलाक के मसले पर केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीमकोर्ट में दायर हलफनामे को मुस्लिम महिलाओं ने गलत बताया है। सोमवार को ऑल इण्डिया मुस्लिम मजलिस के बैनर तले महिलाएं सड़कों पर उतरीं और केंद्र सरकार के खिलाफ ज्ञापन दिया। मुस्लिम महिलाओं ने कहा कि वो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के फैसले से सहमत हैं। उनका कहना है कि शरीया कानून से छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए। हम उसमें बदलाव नहीं चाहते हैं।
महिलाओं ने किया प्रदर्शन
सुप्रीम कोर्ट में तीन तलाक के मामले पर केंद्र सरकार के हलफनामे के खिलाफ सोमवार को चौकी चौराहा स्थित गांधी पार्क में महिलाओं ने प्रदर्शन किया। वह शरीया कानून में केंद्र सरकार की दखलअंदाजी का विरोध कर रही थीं। ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस की तरफ से आयोजित प्रदर्शन में उन्होंने कहा कि संविधान में सभी को अपनी धार्मिक आजादी का अधिकार है और इस आधार पर केंद्र को मुसलमानों के धार्मिक मामलों में दखल देने का कोई हक नहीं है। केंद्र सरकार ने अपनी असफलताओं को छुपाने के लिए जानबूझकर इस मुद्दे को उछाला है। ताकि लोगों का ध्यान मूल समस्या से हटाया जा सके। बाद में उन्होंने चौकी चौराहे से कलेक्ट्रेट तक जुलूस भी निकाला और डीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भी भेजा।
कॉमन सिविल कोड पर रही राय शुमारी पर लगे रोक
ज्ञापन में मांग की गई है कि कॉमन सिविल कोड को लागू करने के उद्देश्य से लॉ कमीशन द्वारा केंद्र सरकार की साजिश से जो राय मांगी जा रही है उस पर सख्ती से पाबन्दी लगाते हुए लॉ कमीशन के फैसले को निरस्त किया जाए। सुप्रीमकोर्ट में तीन तलाक को दी गयी चुनौती के सम्बन्ध में विचाराधीन याचिका में केंद्र सरकार द्वारा दाखिल शपथ पत्र को वापस लिए जाने की हिदायत दी जाए।
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