फडणवीस विरोधी गुट एक्शन में
मुंबई। भारतीय जनता पार्टी का शीर्ष नेतृत्व उत्तर से दक्षिण तक कमल खिलाने की बात कर रहा है लेकिन महाराष्ट्र में कमल मुरझाना शुरू हो गया है। पार्टी के सांसद-विधायक आपसी खींचतान में जोर आजमाइश कर रहे हैं। यही वजह है कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के विरोध में लोग खुल कर बयानबाजी कर रहे हैं।
भंडारा से सांसद नाना पटोले ने दो दिन पहले राज्य की राजनीतिक स्थितियों पर नाराजगी जताते हुए फडणवीस के विरोध में बयानबाजी करके राज्य की राजनीति में भूचाल ला दिया है। अब, काटोल के भाजपा विधायक आशीष देशमुख ने खुले तौर पर यह कह कर पार्टी के अंदर खलबली पैदा कर दी है कि फडणवीस का बेहतर विकल्प महिला एवं बालविकास मंत्री पंकजा मुंडे हो सकती हैं। देशमुख ने कहा कि प्रगतिशील महाराष्ट्र में एक बार महिला मुख्यमंत्री होना चाहिए। इस दृष्टिकोण से मुंडे एक कुशल नेतृत्व के साथ ही बहुजन वर्ग का नेतृत्व करेंगीं। मजेदार बात यह है कि मुंडे ने इसी बात को लेकर देशमुख का आभार माना है। देशमुख काटोल में आयोजित काटोल फेस्टिवल में महिला बचत समूह के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे।
बता दें कि पंकजा मुंडे के पिता गोपीनाथ मुंडे मोदी सरकार में ग्रामीण विकास मंत्री थे। एक हादसे में उनकी मौत के बाद पंकजा ने उनकी राजनीतिक विरासत संभाली है। विधानसभा चुनाव के दौरान मुंडे का नाम मुख्यमंत्री के तौर पर लिया जा रहा था। दिवंगत गोपीनाथ मुंडे बंजारा समुदाय के कद्दावर नेता थे। उनके नाम पर आज भी पंकजा को खासी लोकप्रियता हासिल है।
फडणवीस सरकार किसानों की आत्महत्या नहीं रोक पाने और किसानों की कर्जमाफी के मामले पर कांग्रेस सहित समूचे विपक्ष के निशाने पर हैं। भाजपा की सत्ता सहयोगी शिवसेना ने भी कई मौकों पर फडणवीस की सार्वजनिक तौर पर आलोचना की है।इसके पहले पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खड़से भी फडणवीस के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त कर चुके हैं। कांग्रेस ने विधानसभा के अंदर और बाहर फडणवीस सरकार पर भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
बहरहाल जिस तरह से भाजपा सांसद और विधायक खुल कर अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के खिलाफ बगावती रुख अपनाए हैं, उससे साफ है कि महाराष्ट्र में कमल की हालत बेहद खराब है। दरअसल, यह इसलिए भी है क्योंकि भाजपा विधायकों को इस बात का डर सता रहा है कि जिस तरह से आम आदमी नोटबंदी और बढ़ती कीमतों से परेशान है, उसके सामने भविष्य में होने वाले चुनावों में वोट कैसे मांगा जाएगा। आखिर सबको अपने राजनीतिक भविष्य की चिंता है।
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